बुढ़ापे में अधिक नींद लेने से याददाश्त को कमजोर बनाती है | बुढ़ापे में कितना नींद लेना चाहिए - True Gyan

बुढ़ापे में अधिक नींद लेने से याददाश्त को कमजोर बनाती है | बुढ़ापे में कितना नींद लेना चाहिए



हम सभी अधूरी नींद को लेकर हमेशा पढ़ते  सतर्क रहते है। मगर अनजाने में कम नींद के वजह से ज्यादा सोने की आदत भी कम नुकसानजनक नहीं है। सबसे ज्यादा बुजुर्गावस्था में अधिक नींद लेने से कई तरह की समस्याएं होती है।


इस विषय में एक अध्ययन में पाया गया कि अधिक उम्र के लोगों या बूढ़े लोगो को अपने दिमाग को सेहतमंद रखने के लिए हमेशा रात में सात से आठ घंटे की नींद पर्याप्त है। हम बहुत से शोध में पढ़े है कि जो लोग नियमित रूप से छह घंटे से भी कम समय तक सो पाते है, उनकी याददाश्त प्रभावित होने लगती है। 

जिनके मष्तिस्क में डिमेंशिया (dementia) नामक एक खतरनाक प्लांग स्तर बढ़ने लगता है। 


मगर गौर करने वाली बात यह है कि जो इंसान बहुत अधिक देर तक सोता है, उनमें अमीलॉइड बीटा (amyloid) के असामान्य स्तर न होने के बावजूद भी याददाश्त ख़राब देखि गयी। याददाश्त और सोचने की क्षमता सम्बन्धी परीक्षण में सभी का प्रदर्शन ख़राब रहा। 


इसका अध्ययन Stanford university के शोधकर्ताओं ने कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जापान के लगभग 4,500 लोगो पर किया गया। सभी की औसत उम्र लगभग 70 साल थी। विशेषज्ञों का माने तो अमीलॉइड (amyloid) प्रोटीन के निर्माड और याददाश्त में गिरावट के बीच सम्बन्ध पर आधारित है। 


उन्होंने कहा की बुढ़ापे में रोजाना देर तक सोना अवसाद (Depression) की वजह भी बन सकता है। सर्वे में यह भी पता चला कि औसतन तीन में से एक ब्रिटेन और अमेरिकी हर हफ्ते पर्याप्त नींद नहीं लेते है। 


प्रतिभागियों का याददाश्त परीक्षण भी किया गया, जिसमें अधिकतम स्कोर 15 था, जिनकी याददाश्त ख़राब पायी गयी। अध्ययन से सामने आया कि सामान्य समय तक सोने वालों की मस्तिष्क प्रदर्शन 2.8 स्कोर के साथ बहुत बेहतर रहा। कम सोने वालों का स्कोर 3.3 रहा, जबकि अधिक सोने वालों का स्कोर 3.4 मिला। 


ख़राब नींद से हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप (Blood pressure) जैसी कई बीमारियां देखा गया। NHS का कहना है कि ज्यादातर वयस्कों को छह से नौ घंटे के बीच नींद लेना जरुरी है। मगर इसके साथ एक ही समय पर रोजाना उठने की आदत डालने का उन्होने सुझाव दिया। 


इस अध्ययन में स्वस्थ लोग भी शामिल थे और याददाश्त भी सही थी। ये वे लोग है जो सामान्य नींद लेते थे और नियमित रूप से एक ही समय पर उठते थे। यह देखा गया कि अधिक नींद लेने वालों का BMI (28.2 %) सबसे ज्यादा था, कम सोने वालों का BMI (27.8 %) था और सामान्य नींद लेने वालों का BMI (27.3) था। 

तो दोस्तों आप भी अपने घर में बुजुर्ग लोगो के नींद पर ध्यान दे और अपने खुद के सोने के नियम को भी बदले।