हाल ही में चाइना के उत्तरीय इलाकों जैसे लियोलिंग, जिलीन और हेयिलॉंग जियांग आदि शहरों पर बिजली (Electricity) का संकट आ गया है। जिसके कारण बहुत सारे शहरों की ट्रैफिक लाइट, सडकों की लाइट, फैक्ट्रियों, घरों आदि की बिजली अचानक से गुल हो गयी है।
बहुत सारी फैक्ट्रियां बंद हो चुकी है और कई बंद होने के कगार पर खड़ी है। गुयानडोंग जो कि दक्षिण चाइना में उपस्थित सबसे बड़ा औद्योगिक और उत्पादन केंद्र है। वहां पर सरकार ने बिजली कम इस्तेमाल करने की आदेश दी है। कई फैक्ट्रियों को जरनेटर एवं प्राकृतिक लाइट का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
आखिर कारण क्या है
1. COVID - 19 संकट
कोरोना वायरस महामारी के वजह से पूरी दुनिया में जरुरत की वस्तुओं की मांग अधिक बढ़ जाने से चाइना को भी अपना उत्पादन बढ़ाना पड़ा। जिसकी वजह से चाइना में विद्धुत आपूर्ति की मांग बढ़ने लगी जिसका असर कोयले और बिजली के उत्पादन पर भी पड़ा। बिजली के दामों बढ़ोतरी भी हो गयी।
2. कोयले की बढाती मांग
कोरोना महामारी कम होने के बाद कोयला निर्यातक देशों ने कोयले का निर्यात बहुत कम कर दिया और वे देश खुद कोयले को अपने पास इकठ्ठा करने लगे। चाइना के कोयले खदानों में भी कुछ ऐसी बड़ी दुर्घटाएँ हुयी जिससे उनके खुद के कोयले खदानों का उत्पादन घट गया।
ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए व्यापर विवाद के कारण ऑस्ट्रेलिया ने अपना कोयला चाइना को देने से मना कर दिया जबकि ऑस्ट्रेलिया दूसरा सबसे बड़ा कोयला निर्यातक देश है। जिस कारण चाइना पर इसका असर बहुत ज्यादा पड़ा।
3. सरकारी ऊर्जा उत्सर्जन कटौती लक्ष्य
इस बिजली संकट के मुख्य कारणों में से सिजीम्पिंग द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मलेन में किया गया उनका वादा भी है जिसमे कहा गया है कि चीन अपना कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को 2030 तक 2005 में हुए कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन से 65 % कम कर देगा।
वैसे आपको बता दे कि चाइना कार्बन डाई ऑक्साइड तथा अन्य प्रदूषित गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक देश रहा है, यदि चाइना अपने इस वादे को पूरा करता है तो यह जलवायु परिवर्तन के लड़ाई में बहुत ही अच्छा कदम होगा और इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिलेंगे।
दुनिया और भारत पर क्या होगा इसका असर
1. पुरे एशिया तथा दुनिया के कुछ अन्य देशों की फैक्ट्रियों का काम भी प्रभावित हो जायेगा क्योकि चाइना कच्चे माल का सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक देश है। कच्चे माल समय पर तैयार ना हो पाने की वजह से अन्य देशों और चाइना की फैक्ट्रियां वस्तुओं का उत्पादन समय पर नहीं कर पाएंगी जिससे सभी देशों की GDP पर भी असर पड़ेगा। चीन के नोमुरा होल्डिंग लिमिटेड और चाइना इंटरनेशनल कैपिटल कार्प ने बिजली की कमी से विकास दर का अनुमान कम कर दिया है।
2. चाइना पूरी दुनिया में प्रोडक्ट सप्लाई चैन की सबसे बड़ी कड़ी है, यदि चाइना का यह बिजली संकट जल्द दूर नहीं हुआ तो आने वाले समय में दुनिया में प्रोडक्ट सप्लाई चैन प्रभावित होगा जिससे जरुरत की वस्तुएं या तो महँगी हो जाएँगी या उनकी किल्लत होने लगेगी।
3. भारत पर इसका प्रभाव : भारत जो कि चाइना से 100 बिलियन डॉलर का सामान आयात करता है जिसमें सबसे अधिक इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स, मोबाइल फोन्स, ऑटो मोबाइल पार्ट्स, टेक्सटाइल की वस्तुओं का आयात होता है। विशेषकर मोबाइल जैसी प्रोडक्ट पर महंगाई की मार पड़ सकती है क्योकि भारतीय बाजार में चाइनीज मोबाइल कंपनियों की हिस्सेदारी लगभग 70 % है।
आने वाले त्योहारों पर जैसे दीपावली, धनतेरस और क्रिसमस पर काफी असर पड़ सकता है। विशेषतः दीपावली के वस्तुओं जैसे चाइनीज लाइट, झालर, पटाखे, मुर्तिया तथ धनतेरस पर होने वाली इलेक्ट्रॉनिक सामानों की खरीदारी महँगी हो सकती है।
कुल मिलकर यह कह सकते है कि अचानक हुए इस Power Crunch से चाइना सहित अन्य देशों को नुकसान उठाना पड़ सकता है खासकर चाइना पर पूरी तरह निर्भर देशों पर।
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