क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन की लोकप्रियता का हल यह है कि अब यह हमारे असल जिंदगी के फाइनेंस का हिस्सा बनते जा रहा है। हम यहाँ क्रिप्टोकरेंसी के प्रभाव को और कैसे यह काम करती है इसको समझेंगे।
जून में क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन का मूल्य घटकर 29,000 डॉलर हो गया था, यह बीते छह महीने की उसकी सबसे कम कीमत थी। लेकिन अभी सोमवार को इसने 50,000 डॉलर का आकड़ा छू लिया और अब इसकी कीमत जल्द ही एक लाख डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगया जा रहा है।
चलिए जानते है कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी क्या है ? फिल्मो में अपने खूब देखा होगा कि कैसे कसीनो में चिप्स देकर नम्बर पर बोली लगायी जाती है या पत्ते खेले जाते है और चिप पैसे देकर ख़रीदे जाते है। यह लेन - देन का माध्यम होता है।
ठीक उसी तरह, जैसे पुराने दिनों में मवेशियों या धन - गेहूं जैसी चीजों के आदान - प्रदान से सामान ख़रीदे और बेचे जाते थे। यहाँ चिप को क्रिप्टोकरेंसी मान सकते है, क्रिप्टोकरेंसी आपकी डिजिटल संपत्ति है। इसको खरीदने लिए आपको किसी देश की अधिकृत मुद्रा में रकम चुकानी होती है, और फिर इस वर्चुअल करेंसी का इस्तेमाल खरीदने - बेचने या किसी सेवा के इस्तेमाल में करते है।
क्रिप्टोकरेंसी VS पेपर मनी :-
क्रिप्टोकरेंसी कई कई मामलों में आम करेंसी से अलग है, यानि हमारे हाथों में रहने वाले पैसे, जिसे पेपर मनी भी कहते है। सामान्य करेंसी किसी देश की अधिकृत संस्था जारी करती है, जैसे भारत में यह काम रिज़र्व बैंक करता है।
लेकिन क्रिप्टोकरेंसी चंद लोगों के बीच सॉफ्टवेयर की मदद से लेन - देन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली निजी करेंसी है। रूपये, डॉलर, यूरो, पाउंड आदि जिस तरह से पेपर मनी के रूप में है, उसी तरह बिटकॉइन, इथीरियम, बाइनेंस कॉइन, टीथर आदि सभी क्रिप्टोकरेंसी है,
अमेरिका देश अल सल्वाडोर को छोड़कर किसी अन्य राष्ट्र ने इसे वैध नहीं माना है। दरअसल इसपर दुनिया की किसी भी सरकार का कोई नियत्रण नहीं है और यही इसमें डरने वाली बात होती है। इसका लाभ किसी समाज या देश को नहीं होता है, कुछ ही लोगों को ही मिलता है।
यह गैर क़ानूनी कामों में बहुत इस्तेमाल होता है जैसे हथियार और ड्रग्स की खरीदारी फिरौती आदि में। यदि केंद्रीय बैंक जैसी कोई अधिकृत संस्था जारी करे और सरकार का इस पर नियंत्रण हो, तो इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योकि इसमें उपयोग की जाने वाली ब्लॉकचेन तकनीक काफी कारगर है।
ब्लॉकचेन और माइनिंग :-
ब्लॉकचेन में वैसे भी हर लेन - देन परखा जाता है, जिस तरह हम रिज़र्व बैंक के गवर्नर के सिग्नेचर को देखकर अपनी करेंसी पर भरोसा करते है। ब्लॉकचेन में लेन - देन विकेंद्रीकृत होते है, और इसका रिकॉर्ड कई तरह के कंप्यूटर में दर्ज होते है।
अगर इसे किसी जगह हैक करने की कोशिश की भी गयी, तो इसके पुरे नेटवर्क पर खतरा नहीं होता यह सुविधा पेपर मनी में नहीं मिलती है।
यहाँ पर निवेश ही नहीं बल्कि माइनिंग करके भी क्रिप्टोकरेंसी कमा सकते है। इसके लिए जटिल गणितीय पहेलियों को सुलझाना पड़ता है। फिर बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को एक सीमा तक ही जारी किया जा सकता है। जैसे दुनिया भर में 2.1 करोड़ बिटकॉइन ही माइन किये जा सकते है।
माइनिंग क्रिप्टोकरेंसी की कीमत क्यों अधिक है :-
क्योकि इसका 83 प्रतिशत हिस्सा बाजार में आ चूका है और संख्या कम (केवल 2.1 करोड़) होने की वजह से इसकी मांग ज्यादा है, इसलिए इसकी कीमत भी अन्य क्रिप्टोकरेंसी से अधिक है। ऐसा दूसरे क्रिप्टोकरेंसी के साथ नहीं है।
क्रिप्टोकरेंसी की भारत में स्थिति :-
विश्लेषक नारायण अय्यर बताते है कि यह करेंसी उन खास लोगों के लिए है जो अन्तराष्ट्रीय बाजार में कारोबार करते है या अन्तराष्ट्रीय मुद्राओं से वास्ता रखते है। भारत में इसे अब तक न स्वीकारा गया है और न ही ख़ारिज किया गया है।
साल 2018 में रिज़र्व बैंक ने बैंको को क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र में काम करने से रोका था, लेकिन पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इस रोक को हटाते हुए सरकार को इस पर कानून बनाने को कहा। अभी संसद में क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफिसियल डिजिटल करेंसी बिल पेश करने की योजना बनी थी लेकिन ऐसा संभव नहीं पाया।
फ़िलहाल इसके प्रावधान सामने नहीं आये है, लेकिन संभव है कि क्रिप्टोकरेंसी को कुछ हद तक स्वीकार कर लिया जाये, हालाकिं नारायण अय्यर यह चिंताजनक बात बताते है कि अगर इसे पूरी तरह से स्वीकार कर लिया गया, तो इसकी बढाती कीमत भारतीय रूपये मूल्य गिरा सकता है।
इसे भी पढ़े: