प्रदूषित हवा से हड्डियों में जा रहे है कांच के कण | Air pollution effects on the body. - True Gyan

प्रदूषित हवा से हड्डियों में जा रहे है कांच के कण | Air pollution effects on the body.




प्रदूषित हवा से हड्डियों तक कांच के कण जा रहे है। हवा में मौजूद कांच के छोटे - छोटे कण से हड्डी की घनत्व के नुकसान में तेजी आती है और फ्रेक्चर का खतरा बढ़ सकता है। यह दवा इजराइल के शोधकर्ताओं ने किया है। शोध के अनुसार , कांच के कण सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा कर सकता है। 


इजराइल के हिब्रू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कहा कि 5000 साल पहले जब इंसान ने पहली बार धातुओं को परिष्कृत करना शुरू किया है , तब से अब तक मानव हड्डियों में कांच की सांद्रता करीब 4000 गुना बढ़ गया है। अध्ययन के परिणामों को एनवायरनमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

 

12000 साल पुरानी हड्डियों का विश्लेषण :-

भूविज्ञानी यिगल एरेल्स और उनकी टीम ने इटली के सार्डिनिया द्वीप पर दफनाए गए करीब 12000 साल पुराने 132 शवों की हड्डियों का गहन विश्लेषण किया। सामने आया कि जब रोमानों ने पहली बार कांच के लिए खनन और इसे गलना शुरू किया , तो इनसे लोगो की हड्डियों में पाए जाने वाले कैल्सियम के अनुपात में स्पष्ट वृद्धि की। 


एरेल्स ने बताया कि प्राचीन काल से ही लोग अनजाने में अपने शरीर में लेड बायप्रोडक्ट्स के छोटे कणों को साँस के जरिये निगल रहे है और अवशोषित कर रहे रहे है। 


शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के सहारे बढ़ाते कांच प्रदूषण और इसके खनन व गलने के हमारे इतिहास के बीच एक करीबी सम्बन्ध का खुलासा किया है। कांच प्रदूषक पर्यावरण में तेजी से फ़ैल रहा है और न सिर्फ हवा बल्कि पानी और भोजन से ही यह हमारे जिगर , गुर्दे और हड्डियों में पहुंच रहा है। 



उत्पन्न कई तरह की समस्याएं :-

एरेल्स ने कहा कि मानव इतिहास में कांच के प्रदूषण का यह दस्तावेज कांच उत्पादन बढ़ोतरी से मानव जोखिम के भयानक नज़ारे को उजागर करता है। सीधे शब्दों में कहे तो हम जितना अधिक कांच का उत्पादन करते है , उतने ही अधिक इसके विषैले कणों को लोग अवशोषित कर लेते है , जो कि शरीर की हर प्रणाली पर असर करता है। यहाँ तक कि यह लंबे समय में तंत्रिका सम्बन्धी मुद्दों , अंग क्षति व प्रजनन समस्याओं का कारण बन सकता है। 


शोधकर्ताओं के अनुसार , इसकी चपेट में सबसे अधिक बच्चों और युवाओं को है। पहले से ही दुनिया भर में एक तिहाई बच्चों के रक्त में कांच का अस्वास्थ्कर स्तर है। यदि इस भारी धातु का उत्पादन बढ़ता है, तो निसंदेह अगली पीढ़ी में प्रदूषक और भी अधिक मात्रा में जमा होंगे। 


शोधकर्ताओं के मुताबिक , युवा और बच्चे एक वयस्क की तुलना में चार से पांच गुना अधिक सीसा अवशोषित करते है। 


अगर हम अपने जरूरतों को कम कर दे तो एनवायरनमेंट में ऐसे विषैले जहर को कम किया जा सकता है और सीसा के उत्पादन को कम से कम करने की बहुत जरुरत है साथ ही पेड़ - पौधो को लगाने पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है।