Traffic jam ke karan hone wali pareshani | Traffic ke sor se sarir pr kya prabhav padta hai - True Gyan

Traffic jam ke karan hone wali pareshani | Traffic ke sor se sarir pr kya prabhav padta hai


 

लम्बे समय तक सड़कों और रेलवे यातायात के शोर के संपर्क में रहने से दिमाग पर इसका बहुत ज्यादा असर पड़ता है, ट्रैफिक जाम से, जो शोर होते है उससे डिमेंशिया (मनोभ्रंश, खासतौर से अल्जाइमर रोग के विकास का जोखिम अधिक है।


डेनमार्क में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आयी कि 2017 में डेनमार्क में दर्ज किये गए डिमेंशिया मरीजों के 8,475 मामलों में से 1,216 मामलों के लिए बढ़ता यातायात शोर जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।


इसके साथ ही यह इस बात का भी बड़ा संकेत है कि यातायात सम्बन्धी शोर में कमी के माध्यम से डिमेंशिया की रोकथाम व इससे बचाव किया जा सकता है।


दुनियाभर में मनोभ्रंश से पीड़ितो की संख्या 2050 तक 130 (130,000,000) मिलियन से अधिक होने की संभावना है, जिससे की यह बढ़ते वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन जायेगा। कुछ जाने पहचाने जोखिमों के अलावा हृदय रोग और अनियमित जीवनशैली भी मनोभ्रंश के विकास में भूमिका निभा सकते है।


विश्लेषण से पता चला कि 55 डेसीबल के सड़क यातायात शोर के सम्पर्क से 27 प्रतिशत अधिक जोखिम था, ववही 50 डेसीबल तक अधिक देखा गया। स्वास्थ्य पर शोर के प्रभाव के संभावित स्पष्टीकरण में तनाव हार्मोन और नींद की गड़बड़ी शामिल है। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली में भी बड़ा परिवर्तन होता है। 


यूरोप में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए वायु प्रदुषण के बाद परिवहन शोर को दूसरा सबसे ख़राब पर्यावरणीय जोखिम कारक माना जाता है। चिंता की बात यह कि यूरोपीय आबादी का करीब पांचवा हिस्सा 55 डेसीबल के अनुशासित स्तर से ऊपर परिवहन शोर के संपर्क में है। 


तमाम अध्ययनों में इसे हृदय रोग, मोटापा, मधुमेह और विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ा हुआ पाया गया है। डेनमार्क के शोधकर्ताओं ने यह जाँच 60 साल से अधिक उम्र के दो मिलियन (20 लाख) लोगों पर 2004 और 2017 के बीच की। 


इसके बाद उन्होंने औसतन 8.5 वर्षों में सभी कारणों से डिमेंशिया और विभिन्न प्रकार के डिमेंशिया (अल्जाइमर रोग, वस्कुलर डिमेंशिया और पार्किसंस रोग सम्बन्धी डिमेंशिया) के मामलों की पहचान के लिए डाटा का विश्लेषण किया। उन्होंने इस दौरान डिमेंशिया के 1,03,500 नए मामले आये। पाया गया कि यातायात का शोर डिमेंशिया के उच्च जोखिम से जुड़ा था। 


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