मौसम बदलनें पर Gala sukhne ka karan सामान्य है। पर बिना किसी कारण ही पानी पीने के बाद भी गला सूखता रहे तो यह किसी संभावित बीमारी के लक्षण भी हो सकते है। सामान्य घरेलु उपचार के बाद आराम नहीं आ रहा है तो डॉक्टर के पास जरूर जाएँ।
Contants :
- Gala kyo sukhta hai
टॉन्सिलाइटिस से गला सुखना (Tonsillitis se Gala sukhna)
- श्वसन जनित रोग से gala sukhna
- एलर्जी से gala sukhna
- Type-2 डायबिटिज (Diabetes) से गला सुखना
- लो ब्लड प्रेसर से gala sukhna
- Anemia यानि खून के कमी से gala sukhna
- Hypothyroidism से gala sukhna
- मौसमी फ्लू से gala sukhna
- एसिड रिफ्लक्स से gala sukhna
हमारा शरीर एक ऐसी मशीन की तरह कार्य करता है, जिसके सभी अंग अपने - अपने स्तर पर सुचारु रूप से चलते रहते है। आमतौर पर हमारे मुँह में लगातार बनाने वाली लार गला सूखने नहीं देती, पर किसी बीमारी, अनियमित जीवनशैली, धूम्रपान, चिंता,शरीर में पानी और पोषण की कमी से बार - बार गला सूखने की स्थिति पैदा हो सकती है। इसी प्रकार कुछ खास प्रकार के दवाओं के सेवन से भी हो सकता है।
Gala kyo sukhta hai
हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी और कार्टिलेज में करीब 80 फीसदी पानी होता है और यदि यह स्तर कम हो जाये तो हमारी रोजमर्रा की गतिविधियां प्रभावित होने लगती है। पारस अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन विभाग से जुड़े डॉ संजय गुप्ता के अनुसार 'गला शुष्क होना एक ऐसी साधारण समस्या है, जो सर्दी की तरफ बढ़ते महीनों में ज्यादा प्रभावित करती है।
इस मौसम में हवा तो शुष्क होती ही है, साथ ही साँस के संक्रमण से जुड़े रोगों के फ़ैलाने खतरा भी बढ़ जाता है। साँस के जरिये ये शुष्क हवा अंदर जाकर गला सुखाने लगती है। पानी कम पीना तो गला सूखने का सबसे आम कारण है।
गर्म मौसम में पसीना ज्यादा आता है और बार - बार पानी पीने की इच्छा होती है। अगर हम पर्याप्त पानी नहीं पीते तो अधिक तापमान से गला लगतार सूखने का एहसास होता है। पानी की कमी जोड़ो की समस्या को भी बढ़ा सकती है और यदि गला सूखने की समस्या दो हप्ते से अधिक बनी रहे तो यह चिंताजनक हो सकता है।
गला सूखने के अलावा कई और लक्षण भी दिखयी दे सकते है, जैसे बोलने में खरास होना, साँस लेने में दिक्कत होना, सीने में जलन, चक्कर आना, बेहोशी, शरीर में दर्द, आँखों में धुंधलापन, लिम्फ नॉड्स का बड़ा होना और थकान रहना।
टॉन्सिलाइटिस से गला सुखना (Tonsillitis se Gala sukhna)
यह टॉन्सिल का एक संक्रामक होता है, दरअसल हमारे गले के पिछले हिस्से में टॉन्सिल नामक दो सॉफ्ट ग्रंथिया होती है, जो हमारे शरीर को विभिन्न संक्रमणों से लड़ने में मदद करती है। लेकिन किन्ही कारणों से जब यह ग्रंथिया ही संक्रमित हो जाती है, तो उस स्थिति को टॉन्सिलाइटिस कहते है।
ऐसा वायरस और बैक्टिरिया, दोनों प्रकार के संक्रमणों से हो सकता है। इसमें टॉन्सिल सूजकर लाल हो जाते है और उन पर सफेद रंग के धब्बे दिखाई देने लगते है, जो एक प्रकार का फंगस इन्फेक्शन होता है।
इसके अलावा गले में तेज दर्द के साथ बलगम, कान में दर्द, बुखार और गला सूखने के साथ - साथ कुछ भी निगलने में बहुत दर्द होता है। ऐसी स्थिति में ठंडी चीजों में परहेज और गर्म पानी से गरारे करने की सलाह दी जाती है। वैसे तो वायरल टॉन्सिलाइटिस 7 से 10 दिनों के अंदर ठीक हो जाता है, पर जल्दी रहत के लिए डॉक्टर दवाई खाने की सलाह देता है।
श्वसन जनित रोग से gala sukhna
अस्थमा, पल्मोनरी फाइब्रोसिस या COPD (क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टारी पल्मनरी डिजीज) जैसी बिमारियों से पीड़ित लोगों को बार - बार गला सूखने की समस्या ज्यादा परेशान करती है। साँस जनित रोगों में पीड़ित व्यक्ति को सामान्य लोगों की तुलना में नाक द्वारा हवा खींचने में काफी असहजता होती है।
इसलिए वह ज्यादा मुँह से साँस लेने में आराम महसूस करते है। नतीजतन, गला बार - बार शुष्क होता रहता है। साथ ही कुछ दवाइयों, इन्हेलर या स्ट्रेराइड की वजह से भी मुँह सूखने की शिकायत बढ़ती है। ऐसे में गुनगुने पानी में थोड़ा सा शहद मिलकर पीना राहत मिलता है।
एलर्जी से gala sukhna
कुछ लोगों को किन्ही विशेष प्रकार की वस्तुओं, गंध, आहार, परागकणों, मोल्ड, धूल के कणों या पालतू जानवरों से एलर्जी होती है। ऐसी स्थिति में जब वह इनमे से किसी भी चीज के सम्पर्क में आते है, तो उनका इम्यून सिस्टम अति सक्रिय हो जाता है, जिससे शरीर में हिस्टामाइन कैल्शियम का स्त्राव होने लगता है।
इसके परिणामस्वरूप छींक आना, खांसी, मुँह, त्वचा या आंख के किसी हिस्से में खुजली जैसी समस्याएं हो सकती है। साथ ही, नाक जमने के कारण मुँह से साँस लेना पड़ सकता है, जिससे गला सूखने लगता है।
ऐसी स्थिति में नाक में जमा बलगम गले के पिछले हिस्से में भी प्रवेश कर सकता है, जिसे पोस्ट नेजल ड्रिप कहते है। इससे बचने के लिए डॉक्टर एलर्जी के लिए ट्रिगर्स पर ध्यान रखने की सलाह देते है।
Type-2 डायबिटिज (Diabetes) से गला सुखना
गला सुखना मधुमेह की समस्या का भी संकेत ही सकता है। अगर पहले से मधुमेह नहीं है और अचानक गला सुख रहा है, बार - बार पेशाब आ रहा है,पैरो में दर्द आदि लक्षण भी है, तो डायबिटीज की जांच करने की सलाह दी जाती है।
जो लोग पहले से डायबिटिक है अगर वे इसे नियंत्रण में नहीं रखते है, तो किडनी पर इसका बुरा असर पड़ता है। किडनी ठीक तरह से काम नहीं कर पाती। पीड़ित व्यक्ति को बार - बार पेशाब जाने की इच्छा होती और गला सूखता रहता है।
डायबिटीज का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन संतुलित जीवनशैली, समय से इलाज और उचित दवाओं द्वारा मरीज काफी हद तक एक सामान्य जीवन जी सकता है।
लो ब्लड प्रेसर से gala sukhna
किसी भी स्वस्थ व्यक्ति का सामान्य ब्लड प्रेसर 80/120 होती है, जो अत्यधिक तनाव, चिंता या घबराहट की स्थिति में सामान्य से नीचे जा सकता है। ऐसे में सबसे पहले गला सुखना शुरू होता है और यदि ब्लड प्रेसर ज्यादा नीचे चला जाये तो ऑक्सीजन के आपूर्ति में भी बाधा पैदा हो सकती है।
इसके साथ - साथ शरीर में अन्य पोषक तत्वों की कमी भी होने गलती है, जिससे बार - बार पानी पीने पर भी गला सूखा ही बना रहता है। स्थिति ज्यादा गंभीर होने पर हाँथ - पैर ठंडे पड़ जाना, बेहोसी और चक्कर आना, जैसे लक्षण दिखाई दे सकते है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर आहार में नमक का सेवन बढ़ाने के साथ - साथ भरपूर पानी पीने की सलाह देते है।
Anemia यानि खून के कमी से gala sukhna
एक सामान्य व्यक्ति के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर 13.4 से 15.5 के बीच रहना चाहिए। हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने पर शरीर में खून की कमी हो जाती है, जिसे एनीमिया कहते है। इस स्थिति में शरीर में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम होने लगती है।
इसे बढ़ाने के लिए शरीर में ज्यादा मात्रा में पानी की जरूरत होती है। इसके परिणामस्वरूप बार - बार गला सूखने लगता है। खून के कमी होने पर गला सूखने के साथ - साथ दिल की धड़कन अनियमित हो जाना, थकान, साँस फूलना, चक्कर आना और गफलत की स्थिति भी पैदा हो सकती है।
अनीमिया से उबरने के लिए डॉक्टर दवाओं के साथ गाजर, टमाटर, चुकंदर और हरी सब्जियों को खाने की सलाह देते है।
Hypothyroidism से gala sukhna
इस बीमारी में हमारे गले में मौजूद थायरॉएड ग्रंथि सुचारु रूप से काम करना बंद कर देती है, जिसकी वजह से वजन तेजी से बढ़ने लगता है और त्वचा बेजान लगने लगती है। इसके अलावा ज्यादा ठण्ड लगना, Depression, बाल रूखे और बेजान होना तथा बार - बार गला सुखना जैसे लक्षण भी दिखाई देने लगते है।
विभिन्न आकड़े इस बात की पुष्टि करते है कि Hypothyroidism से पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती है। इस बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर रक्त के नमूनों की जाँच करते है। फिर उसके अनुसार दवा की डोज निश्चित की जाती है।
मौसमी फ्लू से gala sukhna
यह वायरस से फैलता है। इसके लक्षण काफी हद तक सर्दी - जुकाम से मिलते जुलते है, पर फ्लू एक साँस से सम्बंधित बीमारी है इसमें सर्दी जुकाम के मुकाबले ज्यादा परेशानी होती है। इसके प्रमुख लक्षणों में गले में खरास के साथ - साथ, ठंड लगना, खासी, तेज बुखार,मांसपेशियों में दर्द, थकान, उल्टी और दस्त की समस्या हो सकती है।
छोटे बच्चों, बुजुर्गों और क्रॉनिक रोगों से ग्रस्त लोगों में फ्लू की स्थिति ज्यादा बिगड़ सकती है, जिसकी वजह से ब्रोकाइटिस, एनीमिया, साइनोसिटिस व कान का संक्रमण भी हो सकता है। इसमें डॉक्टर गर्म तरल पदार्थों के साथ - साथ निर्धारित दवायें लेने की सलाह देते है।
एसिड रिफ्लक्स से gala sukhna
हमारी आहार नली में जब एसिड की मात्रा सामान्य से ज्यादा होने लगती है तो सीने में जलन की समस्या हो जाती है और बार - बार गला सूखने लगता है। इस समस्या को एसिड रिफ्लक्स के नाम से जाना जाता है।
यह परेशानी अत्यधिक मिर्च - मसाले वाले खाने, ज्यादा घी - तेल के सेवन या रात को बहुत देर से भोजन करने से उत्पन्न होती है। एसिड रिफ्लक्स की स्थिति में बार - बार पानी पीने की इच्छा होती है, पर पानी पीने के बाद भी गले में सूखापन बना रहता है।
वैसे मोटापे से ग्रस्त लोगो में भी यह समस्या काफी देखी जाती है। यदि इस परेशानी पर ध्यान न दिया जाये तो इसका असर जीवनशैली पर पड़ने लगता है और यह परेशानी आगे चलकर Gastroesophageal reflux disease नामक एक पाचन सम्बन्धी रोग में बदल सकती है। खान - पान सम्बन्धी आदतों में बदलाव लाकर इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। लेकिन समस्या बढ़ने पर डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते है।