कोरोना वायरस हवा में घुलने की क्षमता बढ़ा रहा | New variant of corona virus (COVID-19) - True Gyan

कोरोना वायरस हवा में घुलने की क्षमता बढ़ा रहा | New variant of corona virus (COVID-19)




कोरोना वायरस अब हवा में घुलने की क्षमता बढ़ा रहा है। एक नए शोध में मरीजों द्वारा ली जा रही साँस के सूक्ष्म कणों से यह दावा किया गया है। इसमें बताया गया है कि जब लोग साँस लते है , बात करते है और गाते है तो छोटे एरोसोल कण बाहर निकलता है। 


इन एरोसोल कण में नमी की बड़ी बूंदों की तुलना में अधिक कोरोना वायरस हो सकता है। सिंगापुर के शोधकर्ताओं ने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि कोरोना वायरस हवा के माध्यम से अधिक आसानी से फैलने में सक्षम हो सकता है। लेकिन एक अच्छी खबर भी है कि मास्क से इसे रोकने में मदद मिलती है। 


शोधकर्ताओं ने बताया कि कोरोना मरीजों की साँस में पाए गए लगभग 85 प्रतिशत वायरस आरएनए का आकर पांच माइक्रोमीटर से कम के महीन एरोसोल कणों में पाया गया। एरोसोल ट्रांसमिशन पर बहस लगभग महामारी की शुरुआत से ही हो रही है। 


200 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को एक पत्र लिखा था जिसमें संगठन से वायरस के प्रसार को स्वीकार करने के लिए खा गया था। वही अप्रैल में डब्लूएचओ ने एरोसोल को शामिल करने के लिए ट्रांसमिशन पर अपनी जानकारी को अपग्रेड किया।



बंदरों में हुए पिछले अध्ययनों में भी यह पाया गया था कि बड़ी बूंदों की तुलना में एरोसोल में ज्यादा वायरस होते है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस के मुख्य रूप से हवा से फैलने के प्रत्यक्ष प्रमाण का अभी भी आभाव है। 


मास्क इसे रोकने में मददगार :-

अध्ययन में बताया गया कि स्वयंसेवको ने जो मास्क पहने थे वे ज्यादातर ढीले - ढीले थे। उन्होने शुरुआत में घर में बने सिंगल-लेयर-मास्क से लेकर अध्ययन के दौरान डबल लेयर व्यावसायिक रूप से बने मास्क , डबल मास्क , सर्जिकल मास्क और अंत में केएन-95 मास्क भी पहने। 


इस दौरान मास्क ने बिना मास्क वाले लोगों के तुलना में उत्पादित वायरस युक्त मोटे एरोसोल की संख्या को 77 प्रतिशत तक कम कर दिया। आखिर में कही भी जाये मास्क जरूर लगाए , मास्क है जरुरी।