सऊदी journal of biotechnological sciences में प्रकाशित यह शोध नई दिल्ली में स्थित जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय के school of pharmaceutical education and research के विशेषज्ञों ने किया है। शोध में बीते 20 सालों में गुर्दे की बिमारियों पर हुए अध्ययनों को आधार बनाया गया है।
साथ ही पांच साइंस जर्नलों साइंस डायरेक्ट, google scholer, एल्सवियर पबमेड तथा springer के Database को आधार बनाया गया है। हर्बल दवाओं पर शोधकर्ताओं ने नीरी - KFT के प्रभाव पर महत्वपूर्ण नतीजे निकाले है। यह गुर्दे की सुक्ष्म संरचना और कार्यप्रणाली को उपचारित करने में कारगर पई गयी है।
यह क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease) के मरीजों के लिए कारगर है। CKD (Chronic kidney disease) उस स्थिति को कहते है जब गुर्दे काम करना बंद कर देते है। वह रक्त को फ़िल्टर नहीं कर पाते जिससे शरीर में जहरीले अपशिष्ट जमा होने लगते है।
नीरी - KFT ऑक्सीडेटिव और इंफ्लामेन्ट्री स्ट्रेस (oxidative and inflammatory stress) को भी कम करने में कारगर पायी गई है। शरीर के संक्रमण के खिलाफ लड़ने के लिए यह जरुरी है। इसी प्रकार इंफ्लामेंट्ररी स्ट्रेस बढ़ने से भी शरीर का प्रतिरोधक तंत्र किसी भी बीमारी के खिलाफ नहीं लड़ पाता है। नीरी KFT इस दोनों प्रकार के तनाव को दुरुस्त करने में कारगर पायी गयी है।
यह दवा पुनर्नवा, गोखरू, वरुण, पत्थरचट्टा तथा पाषाण भेद समेत 20 जड़ी बूटियों के इस्तेमाल से बनी है। शोध में कई अध्ययनों का जिक्र है जिसमें यह पाया गया है कि नीरी - KFT के सेवन से गुर्दे की सेहत से गुर्दे के रोगियों में क्रिएटिनिन (Creatinine), यूरिआ और यूरिक एसिड की मात्रा में कमी आयी है।
यह पैरामीटर गुर्दे की सेहत को इंगित करते है। जबकि जिन समूहों को यह दवा नहीं दी गयी, उनमें कोई सुधर नहीं दर्ज किया गया।