क्या आपको पता है हमारा मैसेज किन-किन जगहों से होकर जाता है | OSI Model In Hindi - True Gyan

क्या आपको पता है हमारा मैसेज किन-किन जगहों से होकर जाता है | OSI Model In Hindi

आमतौर पर हम लोगों को लगता है कि जब हम किसी मैसेज को फॉरवर्ड करते हैं तो वह दूसरों के मोबाइल पर या किसी डिवाइस पर एक ही स्टेप में चला जाता है जबकि वास्तविकता कुछ और ही होती है कोई भी मैसेज किसी भी मोबाइल पर 5 steps  से होकर जाता है जो हम आप लोग को नीचे बताएंगे। 

1. Application Layer(एप्लीकेशन लेयर)

एप्लीकेशन लेयर को एंड यूजर लेयर की तरह माना जा सकता है जिसे यूजर प्रोटोकॉल्स का इस्तेमाल करके डायरेक्ट जुड़ सकता है, एप्लीकेशन लेयर में सॉफ्टवेयर मौजूद होते हैं जो यूजर को जो यूजर को एक इंटरफ़ेस प्रदान करते हैं, रिमोट लॉगिन जैसी सेवा भी प्रदान करता है।  रिमोट लोकेशन पर स्थित फाइल्स और हार्डवेयर को एप्लीकेशन प्रदान करता है यह प्रिंटर इत्यादि जैसे resourse को शेयर करता है। यह भेजे गए content को इंटरनेट से जोड़ता है। 

2. Transport Layer(ट्रांसपोर्ट लेयर) 

ट्रांसपोर्ट लेयर एप्लीकेशन लेयर से सभी डाटा को लेकर इकट्ठा करता है फिर उसे छोटे-छोटे भाग  में बांट देता है जिसे सेगमेंट कहते हैं। जिससे कि उसे मैसेज भेजने में आसानी हो सके ट्रांसपोर्ट लेयर प्राप्तकर्ता के  नेटवर्क पर एक इमेजिनरी सिग्नल भेजता है कि वह उसे कितनी मात्रा में मैसेज भेजना चाहता है ट्रांसपोर्ट  लेयर होस्ट से एंड टू एंड कनेक्टेड रहता है यहां पर होस्ट का मतलब मोबाइल कप्यूटर  टैब इत्यादि से लिया जा सकता है जब हम कोई मैसेज फॉरवर्ड करते हैं तो वह या तो वह  एसएमएस  व्हाट्सएप के द्वारा फेसबुक के द्वारा या फिर इंस्टाग्राम के द्वारा भी फॉरवर्ड होता है लेकिन मैसेज अगर व्हाट्सएप के द्वारा भेजा गया हो तो वह व्हाट्सएप पर ही जाता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ट्रांसपोर्ट लेयर इसे कंट्रोल करता है और वह सुनिश्चित करता है की मैसेज एंड TO  एंड कनेक्टेड हो मतलब जिसके द्वारा भेजा गया हो उसी जगह पहुंचा हो ना कि कहीं और। 




3. Network Layer(नेटवर्क लेयर)

अब डाटा ट्रांसपोर्ट लेयर से नेटवर्क लेयर में जाता है जहां पर नेटवर्क लेयर host-to-host या source-to-destination  कनेक्शन बनाता है, मतलब सोर्स मशीन से डेस्टिनेशन मशीन तक लॉजिकल ऐड्रेस  उपयोग करते हुए मैसेज को पहुंचाने की जिम्मेदारी नेटवर्क लेयर की होती है। नेटवर्क लेयर यह सुनिश्चित करता है कि मैसेज किस नेटवर्क में भेजनी है और उस नेटवर्क में कोण से होस्ट को भेजना है। नेटवर्क लेयर अभी पता लगाता है कि मैसेज कौन-कौन से राउटर से होकर जाएगा, जिसको हम Routing बोलते हैं यह सबसे छोटी सी छोटी दूरी का निर्णय लेता है। अगर डेस्टिनेशन मशीन की मैसेज लेने की क्षमता कम है तो नेटवर्क लेयर इसे छोटे-छोटे भाग में बांट देता है जिसे हम फ्रेगमेंटेशन कहते हैं। 

4. Data-Link Layer (डाटा लिंक लेयर)

सबसे पहले डाटा लिंक लेयर Hop-to-Hop डिलीवरी होता है डाटा लिंक लेयर केवल नेटवर्क के अंदर ही काम करती है। एक नेटवर्क के अंदर हम केवल डाटा लिंक लेयर से भी काम चला सकते हैं। Source  से किस router  पर या router से किस router पर डाटा को भेजना है यह डाटा लिंक लेयर तय करता है। डाटा के स्पीड को(Flow Control) और error को भी कंट्रोल करता है, ताकि कोई भी मैसेज जो भेजा जा रहा है वही मैसेज है की नही। डाटा लिंक लेयर किन्ही दो मैसेज या डाटा को आपस में टकराने की संभावना को कम करता है। जिसे Access Control कहते है। डाटा लिंक लेयर में हम Frames का उपयोग करते है। ये बिल्कुल ट्रैन की तरह काम करता है आगे एक इंजिन( डाटा को कहाँ ले जाना है ) और पीछे सभी डिब्बे (डाटा) होता है। 

5. Physical Layer (फिजिकल लेयर)

फिजिकल लेयर Logical Data को Singals में बदलता है या Signals को Logical Data में। ये हार्डवेयर से डील करता है जैसे devices का connection किस तरह होना चाहिए। साथ ही डाटा दोनों तरफ से भेजा जायेगा या एक तरफ से(Transmission Mode) यह फिजिकल लेयर तय करता है। Multiplexing और Encoding भी फिजिकल लेयर के अंदर ही बात करते है। 


इन्ही पाँच चरणों से होकर हमारा मैसेज किसी दूसरे के पास जाता है और वह इन्ही पाँचो का उपयोग करके मैसेज को देखता है। 

क्या आपको पता है हमारा मैसेज किन किन जगहों से होकर जाता है।